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लाखों कीमत के औषधीय पौधों की हो रही क्षेत्र से अवैध तस्करी

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मुस्करा (हमीरपुर)। प्रशासन की उदासीनता के चलते सूचना के बाद भी औषधि खनन मामले में वन विभाग और राजस्व विभाग सुध नहीं ले रहा है। भारी मात्रा में बालू खनन के साथ ही साथ अब माफियाओं की नजर क्षेत्र के औषधीय पेड़ पौधों पर लग गई है। मुस्करा क्षेत्र में नाग मोथा (गुंदला) नामक औषधीय पौधों का बगैर अनुमति के बड़ी मात्रा में खनन किया गया है। जिसका परिवहन भी माफिया ने कर लिया है। इधर, इस मामले की सूचना वन विभाग को दिए जाने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी बेखबर बने हुए है। 
जानकारी के अनुसार नदी क्षेत्र और वनपरिक्षेत्र के अंतर्गत प्रवाहित हो रही विरमा नदी में बहुमूल्य वनसंपदा नाग मौथा (गुंदला) की प्रजाति बहुतायत मात्रा में उपलब्ध है। इन औषधीय पौधों के बारे में जानकारी के आभाव में स्थानीय लोग इसे कचरा समझ रहे हैं। हालांकि, जानकार बताते हैं कि नाग मौथा (गुंदला) नामक पौधों की जड़ गर्म प्रवृत्ति की होती हैं। इनका उपयोग लकवा, शीतवात जैसे रोगों के उपचार के साथ साथ इत्र और अगरबत्ती लिए किया जाता है। अभी तक विरमा नदी पर मौरंग खनन बड़े पैमाने पर किया जा रहा था मगर अब माफियाओं की नजर यहां के औषधीय पेड़ पौधों पर है और तस्करी की जा रही है। 
तीन माह से चल रहा खुदाई का कार्य
क्षेत्र में बाहरी माफिया श्रमिकों द्वारा इन औषधीय पौधों का खनन करवा रहा है। यहां इन पौधों को जड़ों को खनन कर नदी के पास ही सूखा दिया जाता है। वहीं रात्रि के समय वाहन से इसकी तस्करी कर दी जाती है। यह कारोबार क्षेत्र में पिछले तीन माह से अनवरत जारी है, लेकिन वन विभाग ने न तो इसकी सुध ली और न ही इस मामले में कोई कार्रवाई की। विडम्बना यह है कि मामले की जानकारी दिए जाने के बाद भी वन विभाग के कर्मी मौके पर नहीं पहुंच रहे है। जिसके कारण माफियाओं द्वारा क्षेत्र से बड़े पैमाने पर औषधीय पौधों का खनन कर परिवहन किया जा रहा है। 

यहां हो रहा खनन
राठ, सरीला और मौदहा तहसील के करीब से प्रवाहित हो रही विरमा नदी में वन माफियाओं द्वारा इन औषधीय पौधों का खनन किया गया है। इन क्षेत्रों में औषधीय पौधों के खनन किए जाने के लिए सम्बंधित व्यक्ति द्वारा कोई अनुमति भी नहीं ली गई है। इतना ही नहीं नदी के तटीय क्षेत्रों में खनन करने के मामले की कोई सूचना भी वन विभाग को नहीं दी गई है।

नहीं लिखवाई मुसाफिरी
क्षेत्र में वन सम्पदा का अवैध खनन करने के लिए यहां बहार से श्रमिक बुलाए गए हैं। लेकिन इसकी जानकारी न तो थाने में दी गई है और न ही राजस्व अमले को। यहां कार्य करने वाले श्रमिक अस्थायी रूप से अपना आशियाना बनाकर निवास कर रहे हैं। 

नदी में ही उगती हैं यह औषधि
जानकारों के अनुसार नाग मौथा (गुंदला) नदी व नदी के तटीय क्षेत्रों में ही उगते हैं। औषधि की जड़ें ही दवा, इत्र और अगरबत्ती बनाने के रूप में उपयोग में लाई जाती है। स्थानीय लोगों को इसकी उपयोगिता का पता नहीं है इसलिए काफी बड़े क्षेत्र में यह औषधीय पौधे सुरक्षित है। इनकी प्रकृति गर्म होती है और इसका प्रयोग लकवा आदि रोगों में किया जाता है।  

क्या कह रहे अधिकारी
वन विभाग के डिविजनल फारेस्ट ऑफिसर अनिल श्रीवास्तव ने बताया कि ये रेवेन्यू(राजस्व) के अधिकार क्षेत्र का मामला है बाकी जांच कराई जाएगी। वहीं जब उपजिलाधिकारी मौदहा राजकुमार गुप्ता से बात की तो बताया कि इस तरह की पहली बार शिकायत आई है वह इसकी जानकारी कर कार्यवाही करेंगे।
फोटो-12राठ03, व 04: 03: खोदकर एकत्र की गई नागमौथा की जड़ 04: वाहन पर लोड कर ले जाते माफिया  

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